आज मैं आपको अपने ऐसे महान senior से मिलवाना चाहता हूँ जो वास्तव में परम भोकाली, फाड़ और चीता हैं | आपको याद होगा आपको शुरुवात में ऐसे तीन महापुरुष गिनवाये थे जो की हमारे कॉलेज के महा भोकाली लोगो में थे | अगर आपने वो न पढ़ा हो या न याद आ रहा हो तो पढ़े " यार बोवलिंग करने की डॉक्टर ने मना किया हैं" | तो एक को तो मैं पहले ही निपटा चुका हूँ| दूसरे को आज निपटाउंगा | तो आइये आपको बताता हूँ आखिर ये किस्सा हुआ कैसे |
भाई हमारे मौर्या सर की हमेशा से ही आदत थी branded पहने की | भले ही की चोर बाज़ार से मारा हो लेकिन भाव ऐसा दे की जैसे अभी Showroom से लाये हो | और बात भी थी जब भी मिलो कभी ADIDAS तो कभी LEVI 'S | लेकिन मामला ये होता तो भी ठीक था मगर आप को लगता हैं ऐसा होगा ? नहीं | भाई इनको देखकर मुझे भी लगा हा यार brand नाम की कोई न कोई चीज़ तो होती हैं और smart बनने के लिए ब्रांड जरूरी हैं | तो एक दिन की बात है मैं mess में बैठे रात का भोजन कर रहा था तब तक हमारे परम भोकाली महा फाड़ चीता MR . RajniKant Maurya आ गए | अब क्या था अकेले पा कर मैं इनसे पूछने लगा की सर बता दो आपकी style का राज़ क्या हैं |
पहले तो इन्होने वही पुराना भाव मारा लेकिन में इतना भी चू*** थोड़ी न था | जब इनको लगा की लौंडा थोडा समझदार हैं तो कहते है की यार पालिका से लिया है लेकिन खरीदना भी एक कला होती हैं एक Art होती हैं | ये बात तो मानने वाली थी | मगर तभी कहानी में TWIST | सामने से नेता आ रहा था (नेता के बारे में जानने के लिए पढ़िए "हेल्लो में अभी केक खा के आता हूँ")| अब नेता को देखकर मौर्या सर की सिट्टी पिट्टी गम हो गयी वो तो समझ गए की भैया निकल लो नहीं तो पूरी पोल खुल जाएगी | वैसे देखा जाये तो नेता भी शक्ल से सिविल इंजिनियर लगता था तो मैंने उसको भी बुला लिया ताकि वो भी थोड़ी बहुत स्टाइल कर लिया करे |
मगर जैसा की मैंने बोला था कहानी में TWIST ... मौर्या सर का शक सही था | अब नेता उससे पहले की उनकी पोल खोलता वो मुझसे कहने लगे कहा यार ऐसे चिलारो को बुला लेते हो | अब उस समय मुझे तो पता नही था बात क्या थी मगर जो बात थी वो बहुत मजेदार थी | नेता के आते ही मौर्या सर ने Topic बदल दिया | अब मुझे तो मालूम नही था की उन्होंने ऐसा क्यूँ करा इसीलिए मैंने नेता के सामने बोल दिया ," यार नेता देखो न मौर्या सर का स्टाइल कितना गजब हैं हर समय branded ही रहते हैं" | और उसके बाद जो नेता ने बताया तब में समझ गया मौर्या सर क्यूँ भागना च रहे थे |
हुआ ये की नेता ने उनकी पोल खोल दी | नेता ने बताया की ये कपड़े कही से खरीद कर नही बल्कि बनारस के घाटों से चोरी कर के लाते थे | इनके बनारस में पूरा gang लगा था इस काम के लिए | ये सुबह या शाम के समय निकलते थे अपनी टोली ले कर और पहुँच जाते थे अंग्रेजो के पास | अब कुछ लोग अंग्रेजो को बेवकूफ बनाकर उनको गंगा जी में नहाने भेज देते थे बाकि उनके कपड़े गायब करते थे इसीलिए तो इनके पास हर समय ADDIDAS और LEVI "S की भरमार थी | और इसीलिए शायद वो अपने आपको बनारस के आसी घाटों का राजा कहते थे |
ये सुनने के बाद तो जैसे ........ आगे मुझे लिखने की जरूरत नहीं है वो आप मौर्या सर से मिल ली जियेगा वो बतादेंगे उनको कैसा लग रहा था और मुझे कैसा :-) | धन्यवाद |
बुधवार, 12 जनवरी 2011
सोमवार, 10 जनवरी 2011
घर के बहार किया वो भी नंगा !!!!
आइये आज मैं आपको फिर से अपने उन्ही मजेदार दिनों में ले जाता हूँ | किस्से का नाम देख कर ही आप चौक गए होंगे की ऐसा किसके साथ हुआ होगा | भाई साहब ऐसा भी होता हैं| अब सोचिये जिसके साथ ऐसा हुआ होगा उस पर क्या बीत रही होगी वो भी जब समय दोपहर का हो जब सरे मोहल्ले वाले घर से बहार ही रहते हो| उससे मज़ेदार बात तो ये हो जब आपके साथ यह किस्सा यही ९ या १० क्लास में हुआ हो| सोच के ही शर्म आ गयी न | कोई नहीं हमारा मित्र भी बहुत शरमाया था लेकिन अब जो होगया सो हो गया | आइये जानते हैं विस्तार से|
तो ये बात हैं मेरे सबसे पहले रूम पार्टनर की| अगर आपको नाम याद न हो तो में याद दिला देता हूँ| हा भाई वरुण अरोरा और कौन| और ये बात होगी कुछ उस समय की जब ये भाई साहब जुस्त दसवी में आये होंगे | तो हुआ यह की अपने महाशय नया नया गाड़ी चलाना सीखे थे| अब आप तो जानते हैं की घोड़ा जवान हुआ की नही दोड़ना पहले चालू कर देता हैं| यही कुछ मिस्ताके अपने इन बंधू से हो गयी| ये बड़े स्टाइल से गाड़ी अपनी गली में घुमाया करते थे जब इनको कांफिडेंस हो गया की अब ये चलने में माहिर हो गए हैं तो इन्होने थोडा दिमाग लगाया| इन्होने सोचा अब सीख तो गए ही हैं फिर क्यूँ न अब दूसरो की सीखाया जाये|
आईडिया तो अच्छा था | और इनको अपना पहला शिष्य भी मिला | कौन ? अरे इनकी बहन | अब सबसे मज़े की बात इन्होने सिखाना चालू तो किया मगर कुछ ही देर बाद ये भाई साहब गाड़ी लेकर सीधे नाली में घुस गए | अफ़सोस इनका गाड़ी चलाना सिखाना वही ख़त्म हो गया | हा थोड़ी बहुत छोटे तो आई मगर इन्होने एक ऐसी चोट खाई जो आज इनको भूले नही भूलती| क्या ?? अरे बताता हूँ इंतज़ार करिए....
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अब छिछि तो हो ही गयी थी मोहल्ले में लेकिन इन्होने हार नही मानी नाली से खुद भी उठे और गाड़ी भी निकली| इनकी गाड़ी भी चोटिल हो गयी थी| अभी तक तो सब सही चल रहा था मगर अचानक से इनकी बहन रोने लगी| ये देख कर इनकी तो फट गयी मगर अब क्या किया जाये| इनकी बहन दोड़ते हुई गयी और इनके पापा की सारा हाल बता दिया | अब क्या था इनके पापा ने इनकी जो धुलाई की न और साथ में आपको सच बताऊ तो इनको नंगा कर के घर से निकल दिया | अब भाई दुपहरिया में ये क्या करते कही जा भी तो नही सकते और भाई साहब कास कास कर दरवाजा पीट कर रोने लग गए | यहाँ ये रो रहे थे इधर पूरी कालोनी वाले मजे ले रहे थे| यही कोई १५ मं तक तमाशा चलने के बाद इनको अन्दर लिया गया और एक दो डोस और दी गयी|
तो यह था मेरा आज का किस्सा आपको कैसा लगा जरूर बताये और हा में एक बार आपको फिर याद दिला दू कृपया करके वरुण की मौज न क्यूंकि ये हादसा आपके साथ भी हो सकता हैं..
तो ये बात हैं मेरे सबसे पहले रूम पार्टनर की| अगर आपको नाम याद न हो तो में याद दिला देता हूँ| हा भाई वरुण अरोरा और कौन| और ये बात होगी कुछ उस समय की जब ये भाई साहब जुस्त दसवी में आये होंगे | तो हुआ यह की अपने महाशय नया नया गाड़ी चलाना सीखे थे| अब आप तो जानते हैं की घोड़ा जवान हुआ की नही दोड़ना पहले चालू कर देता हैं| यही कुछ मिस्ताके अपने इन बंधू से हो गयी| ये बड़े स्टाइल से गाड़ी अपनी गली में घुमाया करते थे जब इनको कांफिडेंस हो गया की अब ये चलने में माहिर हो गए हैं तो इन्होने थोडा दिमाग लगाया| इन्होने सोचा अब सीख तो गए ही हैं फिर क्यूँ न अब दूसरो की सीखाया जाये|
आईडिया तो अच्छा था | और इनको अपना पहला शिष्य भी मिला | कौन ? अरे इनकी बहन | अब सबसे मज़े की बात इन्होने सिखाना चालू तो किया मगर कुछ ही देर बाद ये भाई साहब गाड़ी लेकर सीधे नाली में घुस गए | अफ़सोस इनका गाड़ी चलाना सिखाना वही ख़त्म हो गया | हा थोड़ी बहुत छोटे तो आई मगर इन्होने एक ऐसी चोट खाई जो आज इनको भूले नही भूलती| क्या ?? अरे बताता हूँ इंतज़ार करिए....
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अब छिछि तो हो ही गयी थी मोहल्ले में लेकिन इन्होने हार नही मानी नाली से खुद भी उठे और गाड़ी भी निकली| इनकी गाड़ी भी चोटिल हो गयी थी| अभी तक तो सब सही चल रहा था मगर अचानक से इनकी बहन रोने लगी| ये देख कर इनकी तो फट गयी मगर अब क्या किया जाये| इनकी बहन दोड़ते हुई गयी और इनके पापा की सारा हाल बता दिया | अब क्या था इनके पापा ने इनकी जो धुलाई की न और साथ में आपको सच बताऊ तो इनको नंगा कर के घर से निकल दिया | अब भाई दुपहरिया में ये क्या करते कही जा भी तो नही सकते और भाई साहब कास कास कर दरवाजा पीट कर रोने लग गए | यहाँ ये रो रहे थे इधर पूरी कालोनी वाले मजे ले रहे थे| यही कोई १५ मं तक तमाशा चलने के बाद इनको अन्दर लिया गया और एक दो डोस और दी गयी|
तो यह था मेरा आज का किस्सा आपको कैसा लगा जरूर बताये और हा में एक बार आपको फिर याद दिला दू कृपया करके वरुण की मौज न क्यूंकि ये हादसा आपके साथ भी हो सकता हैं..
गुरुवार, 6 जनवरी 2011
बड़े बड़े लोगो के छोटे छोटे नाम !!!
कई साल पहले की बात हैं एक महान पुरुष यह कह के चले गए "What there in name." चिंता मत करिए मैं आपसे पूछुंगा नही की किसने ये शब्द कहे क्यूंकि मुझे पूरा विश्वास हैं की किसी की नही मालूम होगा। लेकिन चलिए आपकी knowledge की खातिर हम बता देते हैं की ये किसने कहा। तो ये कथन William Shakespeare द्वारा कहा गया था। पर इसे छोड़िये हम सीधे मुद्दे पर आते हैं। हा वो तो भाई ये कह कर चले गए लेकिन आप सब जानते हैं की पूरी जवानी निकल जाती हैं नाम कमाने में । तो मैं आज का पोस्ट उन्ही नौजवानों पर लिखना चाहुंगा जिन्होंने अपनी जवानी गवा दी नाम कमाने में और हा वो नाम भी जो उन्होंने कमाए।
हमेशा से ही कहा गया हैं की काम बड़ो का आशीर्वाद लेने के बाद ही शुरू करना चाहिए इसीलिए मैं बड़ो के आशीर्वाद के रूप में उनके नाम पहले बताना चाहूँगा जो हमारे आपस में कुख्यात थे। और हा माफ़ी चाहूँगा क्यूंकि जैसा की मैंने वादा किया हैं मैं किसी की बक्शुन्गा नही इसलिए मैंने नीचे सबके नाम लिखने की कोशिश की हैं ( और हा वो सरे नाम हैं जो कई लोग जानते भी न होंगे )। तो किस बात का इंतज़ार आइये देखते हैं .......
हमेशा से ही कहा गया हैं की काम बड़ो का आशीर्वाद लेने के बाद ही शुरू करना चाहिए इसीलिए मैं बड़ो के आशीर्वाद के रूप में उनके नाम पहले बताना चाहूँगा जो हमारे आपस में कुख्यात थे। और हा माफ़ी चाहूँगा क्यूंकि जैसा की मैंने वादा किया हैं मैं किसी की बक्शुन्गा नही इसलिए मैंने नीचे सबके नाम लिखने की कोशिश की हैं ( और हा वो सरे नाम हैं जो कई लोग जानते भी न होंगे )। तो किस बात का इंतज़ार आइये देखते हैं .......
- रविकांत मौर्या - अल्लादीन , मौर्या जी, रजनीकांत मौर्या,
- नमन - कल्लू , कालिया, चन्दर, वेक्टर, तमपिसाच
- गौरव मिश्र- मिस्सू, दशमलव, डम्बल डोर, पुतानी, ओक्टाल
- नितीश प्रकाश- गाँधी, बापू, रोहित मेहरा ,
- निखिल नायक- निक्की,
- विनायक सिन्हा-विन्नी,पूह, मोटे माँ(आगे नही लिख सकता), पाँव
- सुमित वर्मा- बुढाऊ, बुढौती,
- अविकल शुक्ल- सुखला सर,
- शिवेंद्र सिंह- राजा साहब
- राहुल सिंह - भाई, मुह्हब्बत
- लोकेश त्रिपाठी - लंकेश
- राज तिलक शुक्ल - राजू सर, RTX
- प्रदीप यादव- गाजी सर
- राहुल श्रीवास्तव- फार्म, फर्म्स द ट***
- नितेश श्रीवास्तव - कटरे भाई , गिद्धराज
- रूद्र नारायण पाण्डेय - नेता, दहिजार, चुडुका, बैलदार , भैंस, सुभाष नगरे,
- विवेक जोशी - पिंटू,Dinshaw ,
- अभिजित मिश्र- डेढ़ फुटिया, नाटी गुल्ली
- पुनीत पाण्डेय- हग्गन, पिद्दा
- श्रेयांश मिश्र- दिल्ली
- पुनीत रस्तोगी- लेक्सो
- रिषभ शुक्ल- पन्नी
- गौरव सिंह चौहान - धोबी, पेंटर, proctor
- सत्यम पाण्डेय- बडकी दीदी, मत, वोल्वेरिएने
- आश्विन महेश्वरी- धामपुर, मोटा, छोटा हठी
- अंकित पोरवाल- करिया डी भुजंगा
- आशीष राघव- बकरा ,बकरी
- जीतेन्द्र सिंह- जीतू, जीतेन्द्र सिंह घड़ियाल, पहाड़ी
- वरुण अर्रोरा -बन्दर
- विशाल प्रजापति- KT , कंजड़ , खेखनु
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