जनहित को सूचित किया जाता हैं की यह ब्लॉग केवल हसी मज़ाक के लिए इसमे लिखी गयी सच हैं मगर दिल पर लेनी की कोशिश मत ही करिएगा हो सकता हैं आपका हार्ट फैल हो जाए- आज्ञा से अजय पाण्डेय

सोमवार, 10 जनवरी 2011

घर के बहार किया वो भी नंगा !!!!

आइये आज मैं आपको फिर से अपने उन्ही मजेदार दिनों में ले जाता हूँ |  किस्से का नाम देख कर ही आप चौक गए होंगे की ऐसा किसके साथ हुआ होगा | भाई साहब ऐसा भी होता हैं| अब सोचिये जिसके साथ ऐसा हुआ होगा उस पर क्या बीत रही होगी वो भी जब समय दोपहर का हो जब सरे मोहल्ले वाले घर से बहार ही रहते हो| उससे मज़ेदार बात तो ये हो जब आपके साथ यह किस्सा यही ९ या १० क्लास में हुआ हो| सोच के ही शर्म आ गयी न | कोई नहीं हमारा मित्र भी बहुत शरमाया था लेकिन अब जो होगया सो हो गया | आइये जानते हैं विस्तार से|

तो ये बात हैं मेरे सबसे पहले रूम पार्टनर की|  अगर आपको नाम याद न हो तो में याद दिला देता हूँ|  हा भाई वरुण अरोरा और कौन| और ये बात होगी कुछ उस समय की जब ये भाई साहब जुस्त दसवी में आये होंगे | तो हुआ यह की अपने महाशय नया नया गाड़ी चलाना सीखे थे|  अब आप तो जानते हैं की घोड़ा जवान हुआ की नही दोड़ना पहले चालू कर देता हैं|  यही कुछ मिस्ताके अपने इन बंधू से हो गयी|  ये बड़े स्टाइल से गाड़ी अपनी गली में घुमाया करते थे जब इनको कांफिडेंस हो गया की अब ये चलने में माहिर हो गए हैं तो इन्होने थोडा दिमाग लगाया|  इन्होने सोचा अब सीख तो गए ही हैं फिर क्यूँ न अब दूसरो की सीखाया जाये|

आईडिया तो अच्छा था | और इनको अपना पहला शिष्य भी मिला | कौन ? अरे इनकी बहन | अब सबसे मज़े की बात इन्होने सिखाना चालू तो किया मगर कुछ ही देर बाद ये भाई साहब गाड़ी लेकर सीधे नाली में घुस गए | अफ़सोस इनका गाड़ी चलाना सिखाना वही ख़त्म हो गया | हा थोड़ी बहुत छोटे तो आई मगर इन्होने एक ऐसी चोट खाई जो आज इनको भूले नही भूलती| क्या ?? अरे बताता हूँ इंतज़ार करिए....

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अब छिछि तो हो ही गयी थी मोहल्ले में लेकिन इन्होने हार नही मानी नाली से खुद भी उठे और गाड़ी भी निकली|  इनकी गाड़ी भी चोटिल हो गयी थी|  अभी तक तो सब सही चल रहा था मगर अचानक से इनकी बहन रोने लगी|  ये देख कर इनकी तो फट गयी मगर अब क्या किया जाये|  इनकी बहन दोड़ते हुई गयी और इनके पापा की सारा हाल बता दिया |  अब क्या था इनके पापा ने इनकी जो धुलाई की न और साथ में आपको सच बताऊ तो इनको नंगा कर के घर से निकल दिया |  अब भाई दुपहरिया में ये क्या करते कही जा भी तो नही सकते और भाई साहब कास कास कर दरवाजा पीट कर रोने लग गए |  यहाँ ये रो रहे थे इधर पूरी कालोनी वाले मजे ले रहे थे| यही कोई १५ मं तक तमाशा चलने के बाद इनको अन्दर लिया गया और एक दो डोस और दी गयी| 

तो यह था मेरा आज का किस्सा आपको कैसा लगा जरूर बताये और हा में एक बार आपको फिर याद दिला दू कृपया करके वरुण की मौज न क्यूंकि ये हादसा आपके साथ भी हो सकता हैं..

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